शनिवार, 28 अप्रैल 2012

पुस्तक लगते हैं सब फूल

मेरे इन  नन्हें  पौधों  पर
कितने  सारे  आए  फूल
रोज सींचती थी मां भी तो
कह कह कर आएंगे  फूल।


हरे हरे पत्तों  के  अन्दर
छिप छिप झांके प्यारे फूल
लगता है जैसे पौधों  की
हंसी  बने  हैं सारे  फूल।


मुझको तो तारों जैसे  ही
सुंदर लगते हैं सब  फूल
कविता और कहानी की सी
पुस्तक लगते हैं  सब फूल।
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कवि :दिविक रमेश
श्री दिविक रमेश हिन्दी साहित्य  के प्रतिष्ठित कथाकार,कवि, एवम बाल साहित्यकार हैं।आपकी अब तक आलोचनात्मक निबन्धों, कविता,बाल कहानियों,बालगीतों की 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।तथा आप कई राष्ट्रीय एवम अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किये जा चुके हैं।वर्तमान समय में आप दिल्ली युनिवर्सिटी से सम्बद्ध मोती लाल नेहरू कालेज में प्राचार्य पद पर कार्यरत हैं।
मोबाइल न0--09910177099
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित।