खुली खुली खिड़की तुम हमको
अच्छी बहुत बहुत लगती हो
हमको तो तुम प्यारी प्यारी
बिलकुल दीदी सी लगती हो।
जैसे बिजली के जाने पर
दीदी हमको पंखा झलती
तुम भी खिड़की हवा भेजकर
वैसे ही तो पंखा झलती।
जब हम होते कुछ उदास तो
हमको नींद नहीं है आती
तो कहानियों के मेले में
दीदी हमको सैर कराती।
खिड़की तुम भी आसमान का
नीला टुकड़ा हमें दिखाती
जिस पर बिठा बिठा कर जाने
कहां कहां की सैर कराती।
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श्री दिविक रमेश हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित कथाकार,कवि,एवम बाल साहित्यकार हैं।
आपकी अब तक कविता,आलोचनात्मक निबन्धों,बाल कहानियों,बालगीतों की 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।तथा आप कई राष्ट्रीय एवम अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किये जा चुके हैं।वर्तमान समय में आप दिल्ली युनिवर्सिटी से सम्बद्ध मोती लाल नेहरू कालेज में प्राचार्य पद पर कार्यरत हैं।
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित