बुधवार, 16 सितंबर 2009

नन्दू की समझदारी(अन्तिम भाग)

नन्दू की समझदारी(भाग -६)
(गीतात्मक कहानी)

चाचा की ये बात तो बच्चों
समझ गया फ़िर अपना नन्दू
आजाद करूंगा फ़ौरन इनको
हंस करके फ़िर बोला नन्दू।

पर उनके जाने के बाद
नन्दू फ़िर हो गया उदास
खोया खोया बैठा रहता
देखा करता था आकाश।

इसी तरह बैठा था नन्दू
एक दिन अपने घर के पास
मोती मिट्ठू के बारे में
सोच के नन्दू हुआ उदास।

तभी अचानक हुआ कमाल
खुशी से नन्दू हुआ निहाल
किसी की प्यारी कूं कूं सुन के
देखा उसने पीछे मुड़ के।

मोती खड़ा था पीछे उसके
मिट्ठू पीठ पे बैठा जिसके
मिल के तीनों धमा चौकड़ी
लगे मचाने गांव में फ़िर से ।
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हेमन्त कुमार


4 टिप्‍पणियां:

  1. हेमन्त कुमार जी!
    बहुत सुन्दर गीतात्मक कहानी प्रस्तुत की है आपने!
    बधाई।

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  2. बहुत अच्छी लगी नंदू की प्यारी कहानी

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  3. आख़िर नंदू मोती और मिट्ठू के बिना कैसे रह पाता! बेचारा नंदू बिल्कुल अकेला और उदास हो गया था पर मोती और मिट्ठू के लौटने पर फिर से नंदू खुशी से झूम उठा! बहुत बहुत सुंदर! तस्वीरें भी बहुत प्यारी लगी!

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