बुधवार, 2 सितंबर 2009

नन्दू की समझदारी


(गीतात्मक कहानी)
बहुत पुरानी बात है बच्चों
एक गांव था छोटा सा
उसी गांव के एक कोने में
अपना नन्दू रहता था।

अपना नन्दू छोटा था
छोटा था और भोला था
भाई बहन नहीं थे उसके
मां बापू का अकेला था।

किसके साथ मैं खेलूं कूदूं
उछलूं कूदूं धूम मचाऊं
किससे खाऊं किसे खिलाऊं
नन्दू सोचा करता था।

एक दिन बड़े सबेरे बच्चो
नन्दू निकला घर से बाहर
तभी उसे एक प्यारा पिल्ला
दिख गया अपने घर के बाहर।

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( शेष अगले अंक में )
हेमन्त कुमार

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह रोचक बाल कहानी बहुत सुन्दर अगली कडी का इन्तज़ार रहेगा आभार्

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  2. नन्दू की कहानी बढ़िया रही।
    अगली कड़ी का इन्तजार है।

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  3. बच्चों को मोहक लय में बाँधे रखने का खूबसूरत तरीका

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  4. नंदू की कहानी बहुत प्यारी लगी! बेचारा अकेले करे भी तो क्या ! आपके अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा!

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  5. nandu akela kyun tha aap nahee the kya

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  6. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 26 जनवरी 2019 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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